आज #Hdfc शेयर के गिरते मूल्य भले निवेशकों के लिए चिंता का विषय हो लेकिन इसके यंहा तक पहुंचने की कहानी उतनी ही शानदार है . इसके शुरुआत करने वाले ने भी हमे यह सिख दी की उम्र तो बस एक नंबर है और आदमी चाह ले तो क्या कुछ नहीं कर सकता .इसकी शुरुआत श्री हसमुख पारेख ने अपने उम्र के 66 वे वर्ष में की .
1911 में सूरत के गरीब जैन परिवार में जन्मे हसमुख भाई ने अपनी प्रतिभा के बदौलत लंदन स्कूल ऑफ़ इकनोमिक एवंम बॉम्बे के संत जेवियर्स कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की . वर्ष था 1956 का जब इन्होने #icici बैंक में डिप्टी जनरल मैनेजर के पद पर नियुक्त हुए . 1972 तक मैनेजिंग डायरेक्टर के पद तक अपनी मेहनत के बदौलत पहुंचे .1976 में इन्होने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया .
हसमुख भाई आम लोगो के बिच से आये थे सो इन्हे आम लोगो का दुःख दर्द पता था , ये जानते थे की गरीब और मध्यम वर्ग का एक ही सपना होता है वो है अपना घर ! इसी सोच को इन्होने ध्यान में रख कर 66 वर्ष की उम्र में देश की पहली home लोन देने वाली कंपनी की स्थापना की .
हशमुख भाई जानते थे की अगली पीढ़ी को ग्रहाक (कस्टमर ) बनाने के लिए नयी पीढ़ी को अपने साथ जोड़ना पड़ेगा इसलिए उन्होंने चुना अपने भतीजे दीपक पारेख को जो 34 वर्ष की आयु में अरब में एक अमेरिकी बैंक को ज्वाइन करने को तैयार थे . लेकिन चाचा ने भतीजे को ऐसा ऑफर दिया जिसे वे ठुकरा न सके .वर्ष था 1978 #दीपक पारेख ने जनरल मैनेजर की हैसियत से ज्वाइन किया hdfc बैंक .
आज hdfc बैंक लोन देने के लिए कई कठिन शर्त एवंम नियम रखती है जबकि एक समय ऐसा भी था जब उन्हें ग्राहक ढूंढने परते थे
देश जब उदारीकरण के दौर से गुजरा और सरकार ने प्राइवेट संस्थाओं को बैंकिंग लाइसेंस देने के के लिए आमंत्रण दिया तब दीपक पारेख ने इसे मौके के रूप में देखा और अपने साथ एक और प्रतिभावान #बैंकर्स #आदित्य पुरी को जोड़ा और वर्ष 1994 में 100 करोड़ की पूँजी के साथ #HDFC BANK की शुरुआत की .इसी के साथ बना यह पहला प्राइवेट बैंक .
01.07.2023 को HDFC BANK और #HDFC LTD के आपस में मिलने (विलय) से यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा बैंक बन गया .
मार्किट कैप – 11 लाख करोड़ रुपए *
ब्रांचेज -. 8086*
एटीएम – 20000*
ग्राहक – 90 लाख *
*लगभग
धन्यवाद