क्या आपको #भारत पे के #सीईओ #अश्नीर ग्रोवर और #कोटक बैंक का केस याद है .सारा मामला #ipo #financing का ही था .
यह कुछ और नहीं एक प्रकार का loan ही है | जो वित्तीय सहायता प्रदान करने वाली संस्था के द्वारा उन निवेशकों को दिया जाता है जो IPO में ज्यादा से ज्यादा आवेदन करके अधिक से अधिक शेयर प्राप्त करके लिस्टींग पर लाभ कमाना चाहते है .
कौन
यह सुविधा उन HNI (HIGH NETWORTH INDIVIDUAL ) को मिलती है जो कम से कम RS 10 लाख का निवेश IPO में करना चाहते है .
कितना
#RBI के द्वारा लोन राशि पर अंकुश लगाने के बाद ज्यादा से ज्यादा #RS 1 करोड़ तक का लोन 1 पैन नंबर पर लिया जा सकता है .कुछ वित्तीय संस्थान ने कम से कम की सीमा RS 25 लाख की रखी है.
कैसे
1. निवेशक को एक खाता उस वित्तीय संस्था के साथ खोलना होगा और एक डीमैट खाता वित्तीय संस्था द्वारा निर्देशित ब्रोकर के पास .
2.निवेशक को वित्तीय संस्था द्वारा निर्देशित राशि या शेयर जमा करना होगा शुरुआती मार्जिन के रूप में .
3.जब आईपीओ का आवेदन उसी डीमैट खाता से हो जायेगा तब वित्तीय संस्था द्वारा ऋण की राशि आवेदक के लोन खाता में हस्तांतरित कर दी जायेंगी .
4.वित्तीय संस्था का निवेशक को आवण्टित शेयर पर पूरी तरह से नियन्त्रण रहेगा . जिस दिन शेयर बाजार में सूचीबद्व होंगे उस दिन वित्तीय संस्था उसको बेच कर अपना पैसा सूद सहित रख कर बचा पैसा निवेशक को लौटा देगी .नुकसान की स्थिति में निवेशक को नुकशान की राशि और सूद की राशि जमा करनी होगी.
5. निवेशक को शेयर नहीं मिल पाने पे भी निवेशक को सूद की राशि देनी ही होगी .
हर वित्तीय संस्था का अलग अलग चार्ज है . इंटेरेस्ट – कुछ सालाना 20-30% चार्ज करती है तो कुछ स्थिर दर रखा है .
प्रोसेसिंग फीस -. फिक्स्ड से 5%
धन्यवाद
रौशन कुमार